जीन ड्राइव तकनीक के दुरुपयोग की आशंका
वैज्ञानिकों ने कीटों में परिवर्तित जीनों के प्रसार के लिए विकसित की गई नई
तकनीक के दुरुपयोग की आशंका जाहिर की है। उनका कहना है कि जीन ड्राइव नामक नई
टेक्नोलॉजी गलत हाथों में पड़ सकती है और आतंकवादी इससे बड़ी पर्यावरणीय विपदा
उत्पन्न कर सकते हैं। नई टेक्नोलॉजी से परिवर्तित जीन बहुत तेजी से दूसरी पीढ़ी
में पहुंचता है। रिसर्चरों ने इस विधि की तुलना अनियंत्रित आणविक चेन रिएक्शन से
की है। यदि अच्छे उद्देश्य के लिए इस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाए तो हम इससे
मलेरिया और पीत ज्वर जैसी मलेरिया जनित बीमारियों के विस्तार को रोक सकते हैं। यदि
किसी के मन में कुत्सित इरादे पनप रहे हों तो इसका उपयोग घातक बीमारियां फैलाने के
लिए भी किया जा सकता है। इजराइल केतेल अवीव विश्वविद्यालय के जीन वैज्ञानिक डेविड
गर्विट्ज का कहना है कि यदि जीन ड्राइव टेक्नोलॉजी मच्छरों को मलेरिया के परजीवी
की मेजबानी करने और उसे प्रसारित करने से रोकती है तो यही टेक्नोलॉजी मनुष्यों में
विषाक्त बैक्टीरिया पहुंचाने के लिए भी प्रयोग में लाई जा सकती है। साइंस पत्रिका
में छपे एक लेख में दुनिया के 27 प्रमुख जीन वैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक समुदाय से
आग्रह किया है वे जनता को जीन ड्राइव टेक्नोलॉजी के फायदों के साथ-साथ उसके भयावह
पहलुओं के बारे में भी बताएं।
जीन ड्राइव तकनीक में प्रयुक्त होने वाले जीन सुपरचार्ज कहलाते हैं, क्योंकि उनमें
आनुवंशिक सामग्री का कैसेट होता है जो किसी जीव के क्रोमोजोम यानी गुणसूत्र में
प्रविष्ट किया जाता है। कैसेट से साथ प्रविष्ट करने वाली आनुवंशिक सामग्री बहुत
आसानी से एक क्रोमोजोम से दूसरे क्रोमोजोम में पहुंचने लगती है। इससे जीन संशोधित
गुण जंगलों में रहने वाली उन प्रजातियों में तेजी से फैलता है जिनमें प्रजनन तेजी
से होता है। इजराइली वैज्ञानिक गर्विट्ज का कहना है कि परमाणु हथियार निर्मित करने
की टेक्नोलॉजी की तरह जीन ड्राइव की तकनीक को भी गोपनीय रखा जाना चाहिए, लेकिन हार्वर्ड
विश्वविद्यालय के डॉ. केविन एसवेल्ट और 26 अन्य वैज्ञानिकों ने गर्विट्ज के सुझाव से
असहमति व्यक्त की है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि जीन ड्राइव को जैविक हथियार
बनने से रोकने के लिए संपूर्ण पारदर्शिता और खुलापन जरूरी है। उन्होंने जीन
परिवर्तित प्रजातियों के दुर्घटनावश विस्तार को रोकने लिए कड़े सुरक्षा उपाय लागू
करने का आग्रह किया है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि दुनिया में स्वास्थ्य, कृषि और संरक्षण
से संबंधित समस्याओं का हल खोजने में जीन ड्राइव टेक्नोलॉजी तमाम संभावनाओं से
भरपूर है, लेकिन
प्रयोगशाला से बाहर जंगली आबादियों में फेरबदल करने की उनकी क्षमता पर कड़ी नजर
रखना जरूरी है। कुछ समय पहले फ्रूट फ्लाई पर किए गए प्रयोगों में संशोधित जीन
सिर्फ कुछ ही पीढ़ियों के बाद लगभग हर फ्रूटफ्लाई को संक्रमित करने में सक्षम हो
गए थे। इंपीरियल कॉलेज लंदन के जीन वैज्ञानिक ऑस्टिन बर्ट को 2003 में इस दिशा में
पहली सफलता मिली थी। जीन संपादन की क्रिस्पर तकनीक के उपलब्ध होने के बाद प्रयोगशाला
में अब इन प्रयोगों को दोहराना आसान हो गया है।
क्रिस्पर तकनीक का फायदा यह है कि इससे दोषपूर्ण जीनों को कोशिकाओं से हटाया
जा सकता है या उनके स्थान पर स्वस्थ जीन डाले जा सकते हैं। इस विधि से डीएनए कोड
में अक्षरों की अशुद्धि भी दूर की जा सकती है। हार्वर्ड के डॉ. एसवेल्ट का मानना
है कि जीन ड्राइव से मनुष्यों में बीमारियां फैलाने वाले कीटों में आनुवंशिक
फेरबदल करके मानव स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाया जा सकता है। इन कीटों में मच्छरों की
वे प्रजातियां शामिल हैं जो मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का प्रसार
करती हैं। जीन ड्राइव से ये मच्छर मनुष्यों के लिए खतरा नहीं रहेंगे। फसलों को
नुकसान पहुंचाने वाले कीटों में म्यूटेशन की वजह से उन पर कीटनाशक दवाओं का असर
नहीं हो रहा है। ऐसे म्यूटेशन जीन ड्राइव विधि से निष्प्रभावी किए जा सकते हैं।
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