शशांक द्विवेदी
सोशल मीडिया में पोर्न वेबसाइट पर जारी बहस और पक्ष –विपक्ष
के बीच भारत सरकार ने पोर्न वेबसाइट पर लगे बैन को हटा लिया है। सूचना व
प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसके लिए एक नई अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है
कि वे वेबसाइट जो चाइल्ड प्रोर्न को नहीं दिखा रहे हैं उन पर से बैन हटा लिया
जाएगा। पिछले साप्ताह भारत सरकार द्वारा इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं को 857 वेबसाइट की लिस्ट सौंपी गई थी जिसमें पोर्न
कंटेंट उपलब्ध थे। सरकार द्वारा इन वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश दिया गया था।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ काफी हंगामा हुआ और सरकार को अपने कदम पीछे खीचने पड़े ।
लेकिन ये सरकार की नैतिक हार लगती है क्योकि मुट्ठीभर कथित प्रगतिशील लोगों के
सामने झुकते हुए केंद्र सरकार ने एक अच्छे कदम को वापस खींचा ,क्योकि ये बात विभिन्न
शोधो और अपराधियों के बयानों से स्पष्ट हो चुकी है कि देश में बढ़ती बलात्कार की
घटनाओं में पोर्न साइट्स का अहम् योगदान है । हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन आरोपियों ने ऐसी अश्लील साइट्स देखकर ही
बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम दिया । सबसे पहले हमें हमें सेक्स और पोर्न के अंतर
को समझना होगा ,सेक्स जहाँ लोगों की शारीरिक और मानसिक जरूरतों को पूरी करने में
सहायक है वही पोर्न सेक्स के प्रति एक वहशीपन और उन्माद पैदा करता है जहाँ इन्सान
जानवरों जैसा बर्ताव करता है । दुनियाँ के कई देशों ने पोर्न साइट्स के विरुद्ध
बाकायदा अभियान चलाया हुआ है जबकि हमारे यहाँ जब इस पर सरकार कुछ करने के लिए
संजीदा हुई तो इन कथित प्रगतिशील लोगों के सामने सरकार ने घुटने टेक दिए ।
सरकार द्वारा पोर्न वेबसाइट को बंद करने की शिकायत
सबसे पहले रेडीट पर की गई थी। इसमें कहा गया था कि एमटीएनएल और बीएसएनएल नेटवर्क
पर कुछ सर्किल में प्रोर्न साइट के एक्ससे पर रोक लगा दी गई है। इसके बाद लगभग हर
जगह से इस तरह की खबरें आईं और सोशल नेटवर्किंग साइट पर सरकार के खिलाफ लोगों का
गुस्सा फूट पड़ा। हालांकि यह खबर
चौंकाने वाली भी थी क्योंकि हाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पोर्न वेबसाइट पर बैन
लगाने से मना कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश एचएल दत्तू का कहना
था कि ”पोर्न वेब साइट पर बैन
करने का आदेश पास नहीं किया जा सकता। कोई कोर्ट आकर यह कह सकता है कि मैं 18
साल से ज्यादा उम्र का हूं आप मुझे मेरे
कमरे की चार दिवारी में पोर्न देखने से कैसे रोक सकते हैं। यह आर्टिकल 21 का हनन है जिसमें राइट टू पर्सनल लिबर्टी की
बात कही गई है।” एचएल दत्तु की ओर
से यह टिप्पणी उस समय आई, जब
इंदौर के एक वकील कमलेश वासवानी ने एक पीआईएल दाखिल कर सभी पोर्न साइट्स पर बैन लगाने की मांग की थी। चीफ जस्टिस ने कहा था कि इस ओर गंभीर रूप से
विचार कर सरकार को एक निर्णय लेने की जरूरत है। पोर्न साइट्स पर बैन लगाने के
सन्दर्भ में यह मामला पिछले लगभग 2 सालों से चल रहा है जिसमें कोर्ट कई बार
केंद्र सरकार से इन्हें रोकने संबंधी बात कह चुका है ।
पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अश्लील वेबसाइटें खासकर बच्चों से जुड़ी
वेबसाइटों भारत में बच्चों को पोर्नोग्राफी की तरफ ढकेल रही हैं। इन पर नियंत्रण
की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को
पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स और खासतौर से चाइल्ड पोर्नोग्राफी वेबसाइट्स को
ब्लॉक करने के लिए तकनीकी मंत्रालय, कानून मंत्रालय और प्रशासनिक विभाग
के बीच तालमेल बैठाकर जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे ,जिन पर ठीक से अमल नहीं
हुआ था । हर बार यूपीए और एनडीए की सरकारों ने पोर्न साइट्स न रोक पाने के लिए दलीलें देते
हुए कहा कि ऐसी वेबसाइटों के सर्वर विदेशों में होने की वजह से अंतरराष्ट्रीय
पोर्न साइटों पर उसका नियंत्रण नहीं है इसीलिए इन पर रोक लगाना काफी मुश्किल है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि अगर विदेशों में ऐसी साइटों पर रोक लग सकती है
तो भारत में इन्हें प्रतिबंधित क्यों नहीं किया जा सकता है। अब कोर्ट राइट टू
पर्सनल लिबर्टी की बात कह रहा है जबकि पहले सुप्रेम कोर्ट ने ही सरकार से इन्हें
प्रतिबंधित करने को कहा था .
वास्तव में
पॉर्नोग्राफी साइट्स को बैन किया जाना चाहिए, क्योंकि इस कारण महिलाओं के खिलाफ
अपराध बढ़ रहे हैं। इंटरनेट कानूनों के अभाव में पॉर्न वीडियो को बढ़ावा मिल रहा है।
बाजार में 20 करोड़ पॉर्न वीडियो और क्लिपिंग उपलब्ध हैं और इंटरनेट से सीधे इसे डाउनलोड
किया जा सकता है। इस मसले में सरकारी इच्छाशक्ति की कमी स्पष्ट दिख रही है जबकि
दुनियाँ के कई देश इसे लेकर काफी संजीदा है ।और वो इसे रोकने को लेकर कार्यवाही भी
कर रहें है । जब पड़ोसी देश चीन पोर्न के विरुद्ध एक बड़ा और सफल अभियान चला सकता है
तो भारत क्यों नहीं ?जबकि आईटी के क्षेत्र में भारत महाशक्ति के रूप में जाना जाता है । फिर हम
पोर्न को क्यों नहीं रोक पा रहें है ,ये एक बड़ा प्रश्न है । पिछले साल चीन
ने इंटरनेट में अश्लील सामग्री के विरुद्ध एक बड़ा अभियान चलाते हुए 180000 ऑनलाइन प्रकाशनों पर रोक लगा दी थी। ये सभी साइटें इंटरनेट पर पोर्न के अलावा
कुछ ऐसी सामग्री परोस रहीं थी जिससे अश्लीलता फैल रही थी। चीन के अश्लील साहित्य
और अवैध प्रकाशन विरोधी राष्ट्रीय कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार 10000 वेबसाइटों को नियम और कानूनों के उल्लंघन के आरोप में दंडित किया गया है।
अभियान ने 56 लाख अवैध प्रकाशनों को उजागर किया। चीन ने पिछले 2 साल से ऑनलाइन अश्लील साहित्य और
अश्लील वेबसाइट्स के खिलाफ अभियान की
शुरुआत की थी। पिछले दिनों ब्रिटेन के
प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने गूगल और माइक्रोसॉफ्ट को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि चाईल्ड पोर्न को रोका
नहीं गया तो वे इसके खिलाफ विधेयक लेकर आएंगे। चाईल्ड पोर्न को रोकने के लिए पड़
रहें वैश्विक दबाव के बाद गूगल के प्रमुख
एरिक स्मिथ ने कहा था कि वो चाइल्ड
पॉर्न से संबंधित वेबसाइट्स को ब्लॉक करने की पुख्ता कोशिश करेंगे । चाईल्ड
पोर्न को रोकने के लिए गूगल सर्च इंजन ने
एक ऐसी तकनीकि विकसित की है, जिसकी बदौलत इंटरनेट पर बच्चों की
अश्लील तस्वीरों की खोज बेहद कठिन हो जाएगा । इंटरनेट पर अश्लील तस्वीरों की खोज
के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक लाख से अधिक शब्दों पर अब कोई परिणाम नहीं आएगा।
इसके साथ ही बच्चों की अश्लील तस्वीरों को गैर कानूनी बताने वाला एक संदेश भी
दिखाई देगा। लेकिन गूगल की ये कोशिशें भी अधूरी है और अभी भी कई दूसरे तरीकों से
गूगल पर चाईल्ड पोर्न का कंटेंट आसानी से मिल जाता है । इसलिए इसे पूरी तरह से
रोकने के लिए सरकारों को ज्यादा सख्ती से
कार्यवाही करने की जरुरत है ।
इंटरनेट पर आने
वाला तकरीबन 30 फीसदी ट्रैफिक पोर्न साइटों से जुड़ा होता है। दुनिया भर में 30 हजार लोग हर सेकेंड पोर्न वेबसाइट्स या अश्लील सामग्री देख रहे हैं। कई
संगठनों का मानना है कि इस तरह की साइट्स लोगों की मानसिकता पर हमला करती है। देश
में कुल इंटरनेट उपयोग का करीब 30 प्रतिशत सिर्फ पोर्न देखने के लिए ही
होता है। एक मोबाइल कंपनी के अधिकारी के अनुसार दुनियाभर में करीब 7 करोड़ लोग इंटरनेट पर पोर्न देखते हैं जिसमें 13 प्रतिशत लोग भारत से
हैं। पोर्न देखना अब बेहद आम हो गया है।
एक सर्वेक्षण के मुताबिक अधिकांश बच्चे 11 साल की उम्र तक इससे किसी न किसी
सूरत में परिचित हो चुके होते हैं। वहीं इंटरनेट पर होने वाले सर्च में से 30 प्रतिशत सामग्री पोर्न से संबंधित होती हैं। पिछले पांच सालों में गूगल पर
पॉर्न के सर्च के आंकड़ों पर गौर करने पर देखा गया कि लव की जगह सेक्स और पोर्न
बेहद चर्चित की-वर्ड रहे हैं। वेब की शुरुआत के बाद पॉर्न तक लोगों की पहुंच आसान
हो गई और जल्द ही इसने एक इंडस्ट्री का रुप ले लिया।
इंटरनेट पर कई मिलियन पोर्न
वेबसाइट्स मौजूद हैं और इनको सौ फीसदी
रोकना मुश्किल है। प्रतिबंध के बावजूद तकनीकी रूप से दक्ष यूजर प्रॉक्सी सर्वर और
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क्स का इस्तेमाल कर अश्लील सामग्री देख सकता है। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार सभी पोर्न साइट्स पर बैन लगाना
काफी मुश्किल है, क्योंकि इससे जुड़े सभी सर्वरों को ब्लॉक नहीं किया जा
सकता। इंटरनेट पर पोर्न कंटेंट परोसने वाली लाखों वेबसाइट्स हैं।
सरकार ने अभी तक सिर्फ 850 साइट्स पर बैन लगाया है। ऐसे में जिसे पोर्न कंटेंट चाहिए, वो गूगल से सर्च करके इसे हासिल कर सकता है।ब्लॉक साइट्स को
प्रॉक्सी सर्वरों के जरिए एक्सेस करना मुमकिन है। ऐसी कई साइट्स हैं, जो वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए इन साइट्स का
एक्सेस देती हैं।वेबसाइट्स के कंटेंट फिल्टरिंग की सही व्यवस्था नहीं है। यानी
पोर्न वेबसाइट्स चाहें तो एक मिरर साइट क्रिएट करके या अपने नाम में थोड़ा बहुत
फेरबदल करके ये चीजें परोस सकती हैं। इसके अलावा, बैन तभी तक अच्छे से लागू रह
सकता है, जब यह कीवर्ड बेस्ट हो या कंटेंट पर पूरी तरह नजर रखी जाए।
यह प्रक्रिया बेहद महंगी है और इसे मेंटेन करना आसान नहीं है।वेबसाइट्स ब्लॉक करके
पोर्न को नहीं रोका जा सकता। लोग टॉरंट साइट्स के जरिए इन्हें डाउनलोड कर सकते
हैं। इसके अलावा, मार्केट में यह डीवीडी, सीडी के तौर पर भी मुहैया है। फिर भी
विश्व के कई देशों को पोर्न के विरुद्ध आशातीत सफलता मिली है । जिस तरह चीन कानून
बनाकर सभी किस्म की इंटरनेट पोर्न सामग्री को प्रसारित होने से रोक रहा है और पोर्न के विरुद्ध सफल अभियान छेडा हुआ है
वैसा ही अभियान भारत में भी आरंभ किया जाना चाहिए। देश का मौजूदा आईटी एक्ट पोर्न
या अश्लील कंटेंट के प्रकाशन और प्रसारण को रोकने में असमर्थ है। इसलिए साइबर लॉ
में ठोस और व्यवहारिक बदलाव की तुरंत आवश्यक्ता है। अधिकतर पोर्न कंटेंट विदेशों
में होस्टेट है इस कारण इस चुनौती से निपटने के लिए दृढ इच्छाशक्ति और ठोस रणनीति
की जरुरत है । भारत सरकार को पोर्न के विरुद्ध एक अभियान तो चलाना ही पड़ेगा । पोर्न को नियंत्रण करना
मुश्किल जरुर है लेकिन असंभव नहीं है। हम इसके विरूद्ध लड़ाई शुरू तो कर ही सकते
हैं। भारत सरकार पोर्न साइटों को प्रतिबंधित कर पायेगा या नहीं यह तो भविष्य
बताएगा लेकिन इतना तो जरुर है है कि पोर्न देश के बच्चों और युवाओं के सास्कृतिक पतन की निशानी है और इसे बंद होना ही
चाहिए ।
आपके हिन्दी ब्लॉग और चिट्ठे को चिट्ठा फीड्स एग्रीगेटर में शामिल किया गया है। सादर … धन्यवाद।।
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