गॉड पार्टिकल की खोज के बाद सृष्टि का सबसे बुनियादी रहस्य जानने को लेकर पैदा हुई आशा चर्चित ब्रिटिश साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग की ओर से आई चेतावनी के बाद आशंका में बदल सकती है। हॉकिंग ने जल्द ही प्रकाशित होने जा रही किताब 'स्टारमस' की भूमिका में कहा है कि गॉड पार्टिकल को लेकर जो प्रयोग किए जा रहे हैं, उनमें पूरे ब्रह्मांड को नष्ट कर देने की क्षमता है।
हॉकिंग के मुताबिक गॉड पार्टिकल को अगर हाई टेंशन पर
रखा जाए तो कैटस्ट्रॉफिक वैक्यूम डिके (अनर्थकारी शून्य ह्रास) पैदा हो सकता है।
यानी इससे कुछ ऐसे बुलबुले तैयार हो सकते हैं, जिनके लपेटे
में आकर पूरा ब्रह्मांड ही शून्य बन जाए। हॉकिंग की इस चेतावनी को फिलहाल सिद्धांत
रूप में ही लिया जा रहा है, और इसको इसी तरह लिया भी जाना
चाहिए। हॉकिंग ने भी कहा है कि जिस स्थिति की चेतावनी उन्होंने दी है, उसके निकट भविष्य में घटित होने के कोई आसार नहीं हैं। इन स्थितियों के
लिए गॉड पार्टिकल को ऊर्जा के जिस स्तर पर रखना होगा, उसके
लिए पृथ्वी से भी बड़े ऐक्सीलरेटर की जरूरत पड़ेगी। जाहिर है, मौजूदा हालात में स्टीफन के बताए
खतरों से घबराने की जरूरत नहीं है। मगर, गॉड पार्टिकल की खोज
के वक्त हम देख चुके हैं कि कैसे मीडिया का एक हिस्सा इसे ईश्वर की खोज बताने पर
आमादा था। ऐसे में यह नामुमकिन नहीं कि हॉकिंग की चेतावनी का इस्तेमाल कुछ विज्ञान
विरोधी ताकतें लोगों को बरगलाने में करने लगें। जब भी विज्ञान किसी बेहद
महत्वपूर्ण खोज की दहलीज पर पहुंचता है, समाज का एक हिस्सा
प्रकृति से छेड़छाड़ के कथित खतरों और नैतिकता के गढ़े हुए मानकों के सहारे उस पर
अंकुश लगाने की कोशिश करता है। बहरहाल, हॉकिंग की यह एक महान
उपलब्धि रही है कि उन्होंने भौतिकी की सीमावर्ती खोजों को आम लोगों के बीच
लोकप्रिय बनाया है। उनकी 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' की गिनती दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली नॉन फिक्शन पुस्तकों में होती
है। उम्मीद करें कि उनकी लिखी प्रस्तावना के साथ आ रही यह किताब क्वांटम मेकेनिक्स
में जारी नवीनतम काम को लोकप्रिय विमर्श का हिस्सा बनाएगी।
चेतावनीः
हमें तबाह न कर दें गॉड पार्टिकल्स
भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान के
मशहूर प्रफेसर स्टीफन हॉकिंग ने दुनिया को चेतावनी दी है कि जिस 'गॉड पार्टिकल्स' ने सृष्टि को स्वरूप और आकार दिया
है, उसमें पूरी दुनिया को खत्म करने की भी क्षमता है।
प्रफेसर हॉकिंग की संडे टाइम्स को दी इस रिपोर्ट ने विज्ञान जगत में खलबली मचा दी
है। वैज्ञानिक इस विषय को लेकर काफी रोमांचित हैं।
हॉकिंग का कहना है कि अगर वैज्ञानिक गॉड पार्टिकल्स को हाई टेंशन (उच्च तनाव) पर रखेंगे तो इनसे 'कैटास्ट्रॉफिक वैक्यूम' तैयार होगा। यानी इससे बुलबुलानुमा गैप तैयार होंगे। इससे ब्रह्मांड में गतिमान कण टूट-टूटकर उड़ने लगेंगे और आपस में टकराकर चूर-चूर हो जाएंगे। हालांकि भौतिकविदों ने इस मसले को आपदा की आशंका मानकर किसी तरह का प्रयोग नहीं किया है। लेकिन प्रफेसर हॉकिंग ने दुनिया के वैज्ञानिकों को सचेत जरूर किया है। सैद्धांतिक भौतिकीविदों ने हिग्स बॉसन के बारे में लिखा है कि उनकी नई किताब स्टारमस में नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज़ एलड्रीन, क्वीन गिटारिस्ट ब्रायन मे आदि के लेक्चर्स का चयन है। इसी साल नवंबर में यह किताब आने वाली है। इसमें भी गॉड पार्टिकल्स से जुड़ी जानकारियां होंगी।यूनिवर्स की हर चीज (तारे, ग्रह और हम भी) मैटर यानी पदार्थ से बनी है। मैटर अणु और परमाणुओं से बना है और मास वह फिजिकल प्रॉपर्टी है, जिससे इन कणों को ठोस रूप मिलता है। मास जब ग्रैविटी से गुजरता है, तो वह भार की शक्ल में भी मापा जा सकता है, लेकिन भार अपने आप में मास नहीं होता, क्योंकि ग्रैविटी कम-ज्यादा होने से वह बदल जाता है। मास आता कहां से आता है, इसे बताने के लिए फिजिक्स में जब इन तमाम कणों को एक सिस्टम में रखने की कोशिश की गई तो फॉर्म्युले में गैप दिखने लगे। इस गैप को भरने और मास की वजह बताने के लिए 1965 में पीटर हिग्स ने हिग्स बोसोन या गॉड पार्टिकल का आइडिया पेश किया।
हॉकिंग का कहना है कि अगर वैज्ञानिक गॉड पार्टिकल्स को हाई टेंशन (उच्च तनाव) पर रखेंगे तो इनसे 'कैटास्ट्रॉफिक वैक्यूम' तैयार होगा। यानी इससे बुलबुलानुमा गैप तैयार होंगे। इससे ब्रह्मांड में गतिमान कण टूट-टूटकर उड़ने लगेंगे और आपस में टकराकर चूर-चूर हो जाएंगे। हालांकि भौतिकविदों ने इस मसले को आपदा की आशंका मानकर किसी तरह का प्रयोग नहीं किया है। लेकिन प्रफेसर हॉकिंग ने दुनिया के वैज्ञानिकों को सचेत जरूर किया है। सैद्धांतिक भौतिकीविदों ने हिग्स बॉसन के बारे में लिखा है कि उनकी नई किताब स्टारमस में नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज़ एलड्रीन, क्वीन गिटारिस्ट ब्रायन मे आदि के लेक्चर्स का चयन है। इसी साल नवंबर में यह किताब आने वाली है। इसमें भी गॉड पार्टिकल्स से जुड़ी जानकारियां होंगी।यूनिवर्स की हर चीज (तारे, ग्रह और हम भी) मैटर यानी पदार्थ से बनी है। मैटर अणु और परमाणुओं से बना है और मास वह फिजिकल प्रॉपर्टी है, जिससे इन कणों को ठोस रूप मिलता है। मास जब ग्रैविटी से गुजरता है, तो वह भार की शक्ल में भी मापा जा सकता है, लेकिन भार अपने आप में मास नहीं होता, क्योंकि ग्रैविटी कम-ज्यादा होने से वह बदल जाता है। मास आता कहां से आता है, इसे बताने के लिए फिजिक्स में जब इन तमाम कणों को एक सिस्टम में रखने की कोशिश की गई तो फॉर्म्युले में गैप दिखने लगे। इस गैप को भरने और मास की वजह बताने के लिए 1965 में पीटर हिग्स ने हिग्स बोसोन या गॉड पार्टिकल का आइडिया पेश किया।
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