विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान
देश के कई प्रमुख अखबारों में शशांक द्विवेदी के लेख
दैनिक जागरण ,लोकमत ,हरिभूमि ,दबंग दुनियाँ ,डेली न्यूज ,डीएनए,कल्पतरु एक्सप्रेस ,राज एक्सप्रेस ,मिड डे,आज में लेख
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दैनिक जागरण |
केंद्र
सरकार ने भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
भारत रत्न सचिन तेंदुलकर और प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर सीएनआर राव को देने का
फैसला किया है .अपने अपने क्षेत्र में दोनों की सफलताएं असाधारण है .जहाँ सचिन ने
बल्लेबाजी में शतकों का शतक लगाया है वहीं प्रोफ़ेसर राव ने अंतर्राष्ट्रीय शोध
पत्रों के प्रकाशन में शतक लगाया है .दोनों की उपलब्धियाँ असाधारण है लेकिन मीडिया
खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया सचिन की कवरेज तो बहुत कर रहा है लेकिन प्रोफ़ेसर राव के
बारे में या उनके काम के बारे में कोई भी प्रोग्राम नहीं दिखाया जा रहा है . टीवी
पर जहाँ सचिन पर घंटो कार्यक्रम दिखाए गये वहीं पर प्रोफ़ेसर राव पर दस मिनट का
कार्यक्रम अधिकतर टीवी न्यूज चैनलों में दिखाया तक नहीं गया . विज्ञान जगत के किसी
व्यक्ति को भारत के सबसे बड़े सम्मान की खबर पूरी तरह से उपेक्षित नजर आयी जबकि
दोनों को ही भारत रत्न मिला है .विज्ञान की खबरों के प्रति टीवी चैनलों का ये
दुराग्रह नया नहीं है ,ऐसा पहली बार नहीं हुआ है .याद करिये भारत के सबसे बड़े
अंतरिक्ष अभियान मार्स मिशन को भी टीवी वालों ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी . देश में विज्ञान ,अनुसंधान और शोध से सम्बंधित खबरे प्रिंट मीडिया में थोड़ी जगह बना रही है लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया इससे कोसों दूर है । प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है आप खुद देखिये कि इस क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक मीडिया कितना संजीदा है । सिर्फ विज्ञान और तकनीक से जुड़ी सनसनीखेज खबरें ही खबरिया चैनलों में थोड़ी बहुत जगह बना पाती है ।खैर जो
भी हो लेकिन आज वक्त है विलक्षण प्रतिभा के धनी वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर सीएनआर राव को
याद करने का जिनकी वजह से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान-सम्मान बढ़ा है .
वैज्ञानिक शोध में शतक
भारत सरकार ने प्रख्यात वैज्ञानिक और प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख प्रोफेसर सीएनआर राव को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की है। सीएनआर राव सोलिड स्टेट और मैटीरियल केमिस्ट्री के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके 1400 शोध पत्र और 45 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। दुनियाभर के तमाम प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थानों ने राव के योगदानों का महत्वपूर्ण बताते हुए उन्हें अपने संस्थान की सदस्यता के साथ ही फेलोशिप भी दी है। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
दबंग दुनियाँ |
परमाणु शक्ति संपन्न होने और अंतरिक्ष में उपस्थिति दर्ज करा चुकने के बावजूद विज्ञान के क्षेत्र में हम अन्य देशों की तुलना में पीछे हैं। वैज्ञानिकों-इंजीनियरों की संख्या के अनुसार भारत का विश्व में तीसरा स्थान है, लेकिन वैज्ञानिक साहित्य में पश्चिमी वैज्ञानिकों का बोलबाला है ऐसे समय में प्रोफेसर राव ने पश्चिम के एकाधिकार को तोड़ते हुए शोध पत्रों के प्रकाशन के साथ साथ शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया । उनकी सफलता असाधारण है ।
प्रोफेसर सीएनआर राव का जन्म 30 जून 1934 को बेंगलूर में हुआ था। 1951 में मैसूर विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद बीएचयू से मास्टर डिग्री ली। अमेरिकी पोडरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद 1961 में मैसूर विश्वविद्यालय से डीएससी की डिग्री हासिल की। 1963 में आइआइटी कानपुर के रसायन विभाग से फैकल्टी के रूप में जुड़कर करियर की शुरुआत की । 1984-1994 के बीच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के निदेशक रहे। ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज समेत अनेक विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं। वो इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मैटिरियल साइंस के भी निदेशक रहे। रसायन शास्त्र की गहरी जानकारी रखने वाले राव फिलहाल बंगलौर स्थित जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिचर्स में कार्यरत हैं। डॉ. राव न सिर्फ न केवल बेहतरीन रसायनशास्त्री हैं बल्कि उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है।
विलक्षण प्रतिभा के धनी है प्रोफेसर सीएनआर राव
हरिभूमि |
प्रोफेसर राव ठोस अवस्था, संरचनात्मक और मैटेरियल रसायन के क्षेत्र में दुनिया के जाने-माने रसायन शास्त्री हैं । भारत सरकार ने उन्हें 1974 में पदमश्री और 1985 में पदमविभूषण से सम्मानित किया। वर्ष 2000 में रायल सोसायटी ने उन्हें ह्युजेज पुरस्कार से सम्मानित किया वर्ष 2004 में भारतीय विज्ञान पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय बने । भारत-चीनी विज्ञान सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने के लिए उन्हें इसी साल जनवरी, 2013 में चीन के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया गया । प्रोफेसर राव ने ट्रांजीशन मेटल ऑक्साइड सिस्टम, (मेटल-इंसुलेटर ट्रांजीशन, सीएमआर मैटेरियल, सुपरकंडक्टिविटी, मल्टीफेरोक्सि), हाइब्रिड मैटेरियल, नैनोट्यूब और ग्राफीन समेत नैनोमैटेरियल और हाइब्रिड मैटेरियल के क्षेत्र में काफी शोध और अनुसंधान कार्य किये । प्रोफेसर राव सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री में अपनी विशेषज्ञता की वजह से जाने जाते हैं। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।
लोकमत समाचर |
दुनिया में अब वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान आर्थिक स्त्रोत के उपकरण बन गए हैं। किसी भी देश की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता उसकी आर्थिक प्रगति का पैमाना बन चुकी है। दुनिया के ज्यादातर विकसित देश वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देने के लिए अपने रिसर्च फंड का 30 प्रतिशत तक यूनिवर्सिटीज को देते हैं, मगर अपने देश में यह प्रतिशत सिर्फ छह है। उस पर ज्यादातर यूनिवर्सिटीज के अंदरूनी हालात ऐसे हो गए हैं कि वहां शोध के लिए स्पेस काफी कम रह गया है। वैज्ञानिक शोध पत्रों के प्रकाशन में भी भारत की स्तिथि बहुत अच्छी नहीं है । इसको सुधारने के लिए सरकार को तुरंत ध्यान देना होगा । देश में प्रोफेसर सीएनआर राव जैसे कई वैज्ञानिक पैदा करने के लिए इस शोध के लिए नया माहौल और समुचित फंड देने की जरुरत है ।
कुलमिलाकर विज्ञान के क्षेत्र में प्रोफेसर सीएनआर राव का योगदान अभूतपूर्व है और उनको देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने के फैसले से देश में वैज्ञानिक शोध और अनुसंधान को प्रोत्साहन भी मिलेगा । इससे देश में वैज्ञानिक चेतना का माहौल बनाने में भी मदत मिलेगी ।
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http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-pioneers-of-research-10872828.html
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