Wednesday 16 October 2013

अब स्टार वार्स जैसी लाइटसेबर संभव

मुकुल व्यास।।

आपने फिल्म स्टार वार्स में जेडी योद्धा को लेजर की तलवार (लाइटसेबर) भांजते हुए देखा होगा। अब वैज्ञानिकों ने इस साइंस फिक्शन फिल्म की कल्पना को हकीकत में बदल दिया है, हालांकि उन्हें यह सफलता महज संयोग से मिली है। अमेरिका में हार्वर्ड युनिवर्सिटी की एक टीम ने प्रकाश कणों (फोटोन )को कुछ इस तरह से जोड़ा कि वे एक मॉलिक्यूल (अणु समूह) में तब्दील हो गए। इस मॉलिक्यूल ने जेडी की लाइटसेबर की तरह बर्ताव करना शुरू कर दिया। हार्वर्ड और एमआईटी के वैज्ञानिक दरअसल फोटोन के गुणों का अध्ययन कर रहे थे। फोटोन प्रकाश का बुनियादी कण है। यह विद्युत चुंबकीय विकिरण के अन्य सभी रूपों का भी बुनियादी हिस्सा है। इसी अध्ययन के दौरान वैज्ञानिक जुड़े हुए प्रकाश कणों का मॉलिक्यूल बनाने में सफल हो गए। उनके लिए यह कुछ विचित्र सी बात थी क्योंकि यह फोटोन के बारे में प्रचलित धारणा के एकदम विपरीत था। अभी तक यही माना जाता था कि फोटोन द्रव्यमान(मास) रहित होने के कारण एक-दूसरे के साथ इंटरएक्ट नहीं करते।

हार्वर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि फोटोन को मॉलिक्यूल में बदलने की क्षमता निश्चित रूप से विज्ञान की सीमाओं को और आगे ले जाएगी। हार्वर्ड में फिजिक्स के प्रफेसर मिखाइल लुकिन के अनुसार उनकी टीम एक ऐसा माध्यम बनाने में कामयाब हो गई जहां प्रकाश कण इस तरह एक दूसरे के साथ इंटरएक्ट करने लगते हैं मानो उनके पास द्रव्यमान हो। इस तरह के इंटरएक्शन के बाद वे मॉलिक्यूल के रूप में जुड़ने लगे। लुकिन ने कहा कि इस उपलब्धि की तुलना साइंस फिक्शन की लाइटसेबर से करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि फोटोन इंटरएक्ट करते हुए एक-दूसरे को धक्का देते हुए एक-दूसरे को मोड़ देते हैं। इन मॉलिक्यूल्स में देखी जाने वाली प्रक्रिया के पीछे जो फिजिक्स है वह ठीक वैसी ही है जिसे हम फिल्मों में देखते हैं। वैज्ञानिकों ने फोटोन को एक-दूसरे के साथ इंटरएक्ट करवाने के लिए रुबिडियम धातु के अणुओं को एक वैक्यूम चेम्बर में ठंडा किया। तापमान को इतना ठंडा रखा गया कि कण हलचल न कर सकें। जब फोटोन के दो अणुओं को रुबिडियम के अणुओं पर दागा गया तो वे उम्मीद के मुताबिक उसमें से नहीं गुजरे बल्कि दूसरे छोर से एक मॉलिक्यूल के रूप में बाहर आ गए।

नई खोज रोमांचक जरूर है लेकिन अभी वैज्ञानिक इसके भावी उपयोग के बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कह सकते। कुछ लोग नए किस्म के हथियारों में इसके इस्तेमाल की कल्पना कर सकते हैं लेकिन क्वांटम कंप्यूटिंग में फोटोन के मॉलिक्यूल्स के उपयोग की संभावना अधिक है क्योंकि यह टेक्नोलॉजी क्वांटम इन्फॉरमेशन के आदान-प्रदान के लिए फोटोन पर निर्भर है। क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए रिसर्चरों को पहले एक ऐसा सिस्टम बनाना पड़ेगा जो क्वांटम इन्फॉरमेशन को संजो कर रख सके और क्वांटम लोजिक से उसकी प्रोसेसिंग कर सके। लेकिन क्वांटम सिस्टम तभी काम कर सकते हैं जब फोटोन एक-दूसरे के साथ इंटरएक्ट करें। अब हार्वर्ड के वैज्ञानिकों ने यह दिखा दिया है कि ऐसा करना संभव है लेकिन उपयोगी और व्यावहारिक क्वांटम स्विच बनाने से पहले वैज्ञानिकों को उसकी परफॉरमेन्स में सुधार करना पड़ेगा। लुकिन के अनुसार नई खोज का उपयोग एक दिन प्रकाश से क्रिस्टलों जैसी जटिल थ्री-डाइमेंशनल (त्रिआयामी) संरचनाएं बनाने के लिए भी हो सकता है। उनका कहना है कि यह पदार्थ की नई अवस्था है। फोटोन के मॉलिक्यूल्स के गुणों का गहन अध्ययन करते हुए ही हमें इसकी भावी एप्लीकेशन के बारे में पता चलेगा। यदि आप जेडी योद्धा की तरह लाइटसेबर घुमाने का सपना देख रहे हैं तो भूल जाइए। फिलहाल वैज्ञानिक ऐसी कोई करिश्माई चीज आपके हाथों में थमाने के मूड में नहीं हैं। 

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