मंगल अतीत में भले
ही हरा-भरा रहा हो, लेकिन आज वह एक बंजर स्थान है और वहां
की परिस्थितियां जीवन के अनुकूल नहीं हैं। घूमने-फिरने के लिहाज से उसे ऐसा आदर्श
पर्यटन स्थल नहीं कहा जा सकता जहां लोग जाने को बेताब हो जाएं, लेकिन यकीन मानिए दुनिया में करीब दो लाख लोग लाल ग्रह की एकतरफा
यात्र के लिए तैयार हैं जिनमे करीब 20747 लोग भारतीय हैं। मंगल पर बसने वाले पृथ्वीवासियों के पहले जत्थे में
शामिल होने के लिए 140 देशों से दो लाख से अधिक लोगों ने
आवेदन किया है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि आवेदकों की सूची में भारतियों का स्थान
दूसरे नंबर पर है। सबसे ज्यादा आवेदन अमेरिका से आए हैं जहां 47,000 से अधिक लोगों ने मंगल पर जाने की इच्छा व्यक्त की है। चीन से 13000 लोगों ने आवेदन भेजे हैं। मंगल मिशन का संचालन करने वाली हालैंड की
कंपनी, मार्स वन का कहना है कि मंगल यात्र पर
जाने के इच्छुक लोगों ने अपना शेष जीवन मंगल पर ही बिताने पर सहमति जाहिर की है।
डच कंपनी अक्टूबर 2016 में मंगल पर एक सप्लाई मिशन उतारना
चाहती है। इसके बाद 2018 में वहां एक सेटलमेंट रोवर उतारा
जाएगा। मंगल यात्र के दो लाख आवेदकों में से 24 से लेकर 40 उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।
इन्हें 2015 में शुरू होने वाले सात-वर्षीय
प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। अंतिम चयन से पहले मौजूदा आवेदकों को
चयन के तीन और दौरों से गुजरना पड़ेगा। मार्स वन का कहना है कि मंगल यात्रियों के
लिए सैनिक प्रशिक्षण, विमान उड़ाने के अनुभव या विज्ञान की
डिग्री की जरूरत नहीं है, लेकिन प्रत्याशी की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी होनी चाहिए।
अंतरिक्षयात्री
चुनने के लिए दूसरे दौर में मार्स वन की कमेटी के सदस्यों के साथ उम्मीदवारों का
साक्षात्कार होगा। तीसरे दौर में पहुंचने वाले उम्मीदवार एक-दूसरे के साथ
प्रतिस्पर्धा करेंगे। तीसरे दौर में मिशन की चुनौतियों का सामना करने के लिए
उम्मीदवारों को तैयार किया जाएगा और इसका टीवी तथा ऑनलाइन प्रसारण किया जाएगा।
मार्स वन का मकसद मंगल पर एक दशक के अंदर मानव बस्ती बसाना है। मंगल पर बस्ती
बसाने के लिए कंपनी ने 6.31 अरब डॉलर का बजट बनाया है जबकि नासा
ने मंगल पर भेजे गए क्यूरिऑसिटी रोवर पर 2,84 अरब डॉलर खर्च किए थे। मार्स वन विश्वव्यापी रिएल्टी टीवी शो के जरिए
मंगल मिशन के लिए धन जुटाएगी। यह शो लंबा चलेगा और दर्शक वोट देकर यह तय करेंगे कि
अगले दस वर्षो में मंगल यात्र पर जाने वाले चार अंतरिक्ष यात्रियों के पहले जत्थे
में कौन-कौन शामिल होगा। इन चार अंतरिक्षयात्रियों को 2023 तक लाल ग्रह पर उतारने की योजना है।इसके बाद 2033 तक मंगल की मानव बस्ती में 20 लोगों को शामिल करने का लक्ष्य है। पृथ्वी से मंगल की यात्र में करीब
200 दिन लगेंगे। आयोजकों का कहना है कि
मंगल पर मानव बस्ती बसाने से हमें सौर मंडल की उत्पत्ति, जीवन की उत्पत्ति और ब्रव0161ांड में पृथ्वी की स्थिति के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी।
मार्स वन की वेबसाइट के अनुसार मंगल का मिशन फिलहाल एकतरफा ही हो सकता है क्योंकि
ग्रह से वापसी के लिए अभी यान उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे यानों से मिशन की लागत काफी
बढ़ जाएगी। मार्स वन का मानना है कि लाल ग्रह पर मौजूदा टेक्नोलॉजी की मदद से मानव
बस्तियों का निर्माण करना संभव है। कंपनी अपने मिशन के लिए अच्छी तरह से परखे गए
कलपुर्जे और सिस्टम जुटाएगी।
अनेक विशेषज्ञों ने
इस प्रोजेक्ट पर आशंकाएं जाहिर की हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ एराइजोना की प्रोफेसर डॉ.
वेरोनिका ब्रे का कहना है कि यात्र के दौरान सबसे बड़ा जोखिम रेडिएशन का है। रेडिएशन
के संपर्क में आने पर कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. Rिस लिंटूट का कहना है कि मंगल की यात्र व्यवहारिक रूप से संभव है
लेकिन असली समस्या धन की है। दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और वित्तीय ताकत से ही इसे
संभव बनाया जा सकता है।
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