नौ सेना की बड़ी कामयाबी

पानी के भीतर से परमाणु वार करने की क्षमता किसी भी परमाणु देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि परमाणु हमला होने की स्थिति में पलटवार करने के लिए पानी के भीतर के अस्त्र सुरक्षित रहते हैं। पानी के भीतर होने के कारण दुश्मन पर बेहद अनजान जगह से परमाणु वार किया जा सकता है।
नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सयुंक्त प्रयासों से आईएनएस अरिहंत का 83 मेगावाट रिएक्टर सैकड़ों परीक्षणों के दौर से गुजरने के बाद सफलतापूर्वक चालू हो गया है। परमाणु पनडुब्बी विकसित करने वाला भारत दुनिया का छठवाँ देश बन गया है। इस उपलब्धि से गौरवान्वित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने रक्षा वैज्ञानिकों को बधाई दी है। डॉ. सिंह ने कहा कि मुझे यह जानकार अत्यंत प्रसन्नता हुई कि भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का परमाणु रिएक्टर चालू हो गया है। मैं इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से जुड़े सभी लोगों को और विशेष रूप से परमाणु ऊर्जा विभाग, भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का यह घाटनाक्रम हमारी स्वदेशी टेक्टोलॉजी विकसित करने की दिशा में बड़ी प्रगति है। यह हमारे वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और रक्षा कर्मियों की क्षमता का सबूत है जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जटिल टेक्नोलॉजी को विकसित करने में महारथ हासिल की है। परमाणु रिएक्टर चालू होने के लिए यह पनडुब्बी विशाखापत्तनम के डॉकयार्ड में मानसून के सुस्त पड़ने का इंतजार कर रही थी।

पिछले चार वर्षों में आईएनएस अरिहंत के हार्बर परीक्षण चलते रहे हैं। इसके ह
जारों उपकरणों को कड़े परीक्षणों के दौर से गुजारा गया। आईएनएस अरिहंत में 83 मेगावाट का परमाणु रिएक्टर लगा है। मिनी रिएक्टर को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने विकसित किया है।
समुद्र में उतारे जाने के बाद आईएनएस अरिहंत के संचालन संबंधी परीक्षण होंगे। ये परीक्षण 18 महीने तक चलेंगे। नौसेना की सेवा में शामिल होने के बाद यह भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी बन जाएगी। रूस से लीज पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र पहले ही समुद्र के भीतर कहीं चुपचाप दुश्मन पर निगाह जमाए हुए बैठी है।
भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडओ) ने अरिहंत पर तैनात करने के लिए मध्यम दूरी का परमाणु प्रक्षेपास्त्र बीओ-5 भी तैयार किया है, जो 700 किमी तक हमला कर सकता है। इसकी 3500 किमी तक मारक क्षमता विकसित करने पर काम चल रहा है। इसका आखिरी परीक्षण 27 जनवरी को विशाखापत्नम के तट पर किया गया था। दुनिया के गिने चुने देश ही अभी तक परमाणु पनडुब्बी बना सके हैं। इनमें अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं। इस तरह भारत दुनिया का छठा देश होगा जो परमाणु पनडुब्बी बनाने में कामयाब हो गया है।

एडवांसड टेक्नोलॉजी वेसेल (एटीवी) कार्यक्रम के तहत आईएनएस अरिहंत का निर्माण किया गया है। विशाखापत्तनम स्थित नौसैनिक डॉकयार्ड में करीब 15,000 करोड़ की लागत से इसे बनाया गया है।
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