Thursday 4 July 2013

इसरो की बड़ी कामयाबी-आईआरएनएसएस-1 ए का प्रक्षेपण

देश का पहला नेवीगेशन सैटलाइट लाँच
Dainik Jagran

 इसरो ने भारत के पहले नेवीगेशन सेटेलाइट आईआरएनएसएस-1 ए का प्रक्षेपण पीएसएलवी-सी 22 के जरिए श्रीहरिकोटा के समीप सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलता पूर्वक कर दिया । 1425 किलोग्राम वजनी आईआरएनएसएस-1ए इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) का पहला उपग्रह है। इस उपग्रह का जीवन दस साल का है। यह उपग्रह संबंधित पक्षों को सटीक स्थतिक सूचनाएं उपलब्ध कराएगा तथा अपनी सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के क्षेत्र संबंधी आंकड़ें देगा।
आईआरएनएसएस-1ए दो तरह के पेलोड्स लेकर गया है। नेवीगेशन और रेंजिंग पेलोड्स को प्रक्षेपण के 20 मिनट बाद अंतरिक्ष में छोड़ा गया। इस उपग्रह के दो सौर पैनल हैं। परमाणु घड़ी सहित नाजुक तत्वों के लिए विशेष तापीय नियंत्रण व्यवस्था डिजाइन और क्रियांवित की गई हैं। यह इसरो के पीएसएलवी का 24वां मिशन है। इसरो के 24 मिशनों में से यह चैथा मौका है जब प्रक्षेपण के लिए ‘एक्सएल’ प्रारूप का इस्तेमाल किया गया है। इसरो ने चंद्रयान 1 (पीएसएलवी-सी 11), जीसैट-12 (पीएसएलवी-सी 17) तथा आरआईसैट-1 (पीएसएलवी-सी 19) के प्रक्षेपण में इसका इस्तेमाल किया था।
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पिछले दिनों ही समुद्र विज्ञान से जुड़े अध्ययनों के लिए भारतीय-फ्रांसीसी उपग्रह सरल के साथ इसरो ने सात उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया था। इनमें छह लघु और सूक्ष्म विदेशी उपग्रह भी शामिल थे। सरल के अलावा, आस्ट्रिया के दो सूक्ष्म-उपग्रह यूनीब्राइट और ब्राइट, डेनमार्क के आउसैट3 और ब्रिटेन के स्ट्रैंड के अतिरिक्त कनाडा के एक सूक्ष्म-उपग्रह नियोससैट और एक लघु-उपग्रह सैफाइर को भी पीएसएलवी से प्रक्षेपित किया गया। साथ ही इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए अपने सौवें अंतरिक्ष मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था । पीएसएलवी सी21 के माध्यम से फ्रांसीसी एसपीओटी 6 को और जापान के माइक्रो उपग्रह प्रोइटेरेस को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया था । कुल 712 किलोग्राम वजन वाला यह फ्रांसीसी उपग्रह भारत द्वारा किसी विदेशी ग्राहक के लिए प्रक्षेपित सर्वाधिक वजन वाला उपग्रह था ।
19 अप्रैल 1975 में स्वदेश निर्मित उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ के प्रक्षेपण के साथ अपने अंतरिक्ष सफर की शुरूआत  करने वाले इसरो की यह सफलता भारत की अंतरिक्ष में बढ़ते वर्चस्व की तरफ इशारा करती है । इसरो ने अब तक 63उपग्रह, एक स्पेस रिकवरी मॉड्यूल और 37 रॉकेटों का प्रक्षेपण कर लिया है। इससे  दूरसंवेदी उपग्रहों के निर्माण व संचालन में वाणिज्यिक रूप से भी फायदा पहुंच रहा है । ये सफलता इसलिए खास है क्योंकि भारतीय प्रक्षेपण राकेटों की विकास लागत ऐसे ही विदेशी  प्रक्षेपण राकेटों की विकास लागत का एक-तिहाई है ।

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