पिछले दिनों समुद्र विज्ञान से
जुड़े अध्ययनों के लिए भारतीय-फ्रांसीसी उपग्रह 'सरल' के साथ
आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसरो ने कुल सात उपग्रहों का सफल
प्रक्षेपण किया। इनमें छह लघु और सूक्ष्म विदेशी उपग्रह भी शामिल थे। पीएसएलवी ने
इन्हें सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया। राष्ट्रपति प्रणब
मुखर्जी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। इसरो सूत्रों ने बताया कि अंतरिक्ष में
मलबे से टकराने से बचने के लिए पीएसएलवी को प्रक्षेपण के निर्धारित समय से पांच
मिनट बाद प्रक्षेपित किया गया। यह किसी प्रक्षेपण अभियान का एक सामान्य एहतियाती
कदम है। फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस के पेलोड्स आरगोस और अल्तिका के साथ 409
किलोग्राम वजन का उपग्रह सरल समुद्र के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन पर
केंद्रित है। इससे समुद्र की स्थिति की समझ बेहतर करने में मदद मिलेगी।
सरल के अलावा, आस्ट्रिया के
दो सूक्ष्म-उपग्रह यूनीब्राइट और ब्राइट, डेनमार्क के आउसैट3
और ब्रिटेन के स्ट्रैंड के अतिरिक्त कनाडा के एक सूक्ष्म-उपग्रह
नियोससैट और एक लघु-उपग्रह सैफाइर को भी पीएसएलवी से प्रक्षेपित किया गया। इस
प्रक्षेपण के साथ ही पीएसएलवी ने लगातार 23 सफल प्रक्षेपणों
का अपना सिलसिला पूरा किया। इस क्रम में पहला अभियान विफल रहा था। पीएसएलवी के
प्रक्षेपण के करीब 18 मिनट बाद, सबसे
पहले सरल को अंतरिक्ष में छोड़ा गया। इसके बाद चार मिनट के अंतराल में एक के बाद एक
उपग्रह छोड़े गए। इसरो ने इससे पहले 'सरल' को पिछले साल 12 दिसंबर को प्रक्षेपित करने की योजना
बनाई थी लेकिन तकनीकी कारणों से अतिरिक्त परीक्षण करने केलिए इसे टाल दिया गया।
लगातार 21 सफल
प्रक्षेपण करने का रिकार्ड रखने वाले पीएसएलवी का यह 23वां मिशन है। नौवीं बार इसरो रॉकेट के "कोर
एलोन" वेरियंट का इस्तेमाल कर रहा है। यदि उपग्रहों का प्रक्षेपण सफल रहता है
तो इसरो द्वारा विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने का आंकडा 35 हो जाएगा। इसरो ने शुल्क लेकर पीएसएलवी-सी-20 के जरिए विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने
का काम 1999 में शुरू किया था।
ज्ञात रहे,भारत ने 1975 में पहली बार अंतरिक्ष अभियान शुरू किया था। तब एक रूसी रॉकेट से आर्यभट्ट उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया था। अब तक देश ने 100 अंतरिक्ष अभियान पूरे कर लिए हैं। समुद्री सतह का अध्ययन... पीएसएलवी-सी20 ने भारतीय-फ्रांसीसी एसएआरएएल उपग्रह (407 किलो) और छह अन्य विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया।
एसएआरएएल समुद्र की सतह की ऊंचाइयों का अध्ययन करेगा और उससे प्राप्त आंकडे भारत और फ्रांस दोनों देश साझा करेंगे। पीएसएलवी-सी20 द्वारा प्रक्षेपित किए जाने वाले अन्य उपग्रहों में दो उपग्रह कनाडा के, दो आस्ट्रिया, एक ब्रिटेन और एक डेनमार्क के हैं। कनाडा के दो उपग्रहों में हैं एनईओसैट (नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट स्पेस सर्विलांस सैटेलाइट) और सैफायर उपग्रह। एनईओसैट का विकास कनेडियन स्पेस एजेंसी ने किया है, जबकि सैफायर का विकास मैकडोनल्ड, डेटविलर एंड एसोसिएट्स (एमडीए) ने किया है। आस्ट्रिया के उपग्रहों में हैं ब्राइट और यूनीब्राइट। रॉकेट ब्रिटेन के एसटीराएनडी-1 और डेनमार्क के एएयूएसएटी उपग्रह को भी साथ ले गया है।
स्मार्टफोन संचालित सूक्ष्म उपग्रह...
एसटीराएनडी-1 (सुरे ट्रेनिंग, रिसर्च एंड नैनोसैटेलाइट डेमोंस्ट्रेटर) दुनिया का पहला स्मार्टफोन से संचालित होने वाला सूक्ष्म उपग्रह है। इस पर एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाला गूगल नेक्सस वन फोन लगाया गया है। इस फोन से कई तरह के आंक़डे जुटाए जाएंगे और यह अपने कैमरे से धरती की तस्वीरें भी लेगा।
एनईओसैट रखेगा क्षुद्रग्रहों पर नजर...
कनाडा का एनईओसैट धरती के आसपास मौजूद क्षुद्रग्रहों और धरती की कक्षा में घूमते अन्य उपग्रहों पर नजर रखेगा। साथ ही यह सूर्य के आसपास मौजूद अन्य छोटे उपग्रहों पर भी नजर रखेगा।
ज्ञात रहे,भारत ने 1975 में पहली बार अंतरिक्ष अभियान शुरू किया था। तब एक रूसी रॉकेट से आर्यभट्ट उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया था। अब तक देश ने 100 अंतरिक्ष अभियान पूरे कर लिए हैं। समुद्री सतह का अध्ययन... पीएसएलवी-सी20 ने भारतीय-फ्रांसीसी एसएआरएएल उपग्रह (407 किलो) और छह अन्य विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया।
एसएआरएएल समुद्र की सतह की ऊंचाइयों का अध्ययन करेगा और उससे प्राप्त आंकडे भारत और फ्रांस दोनों देश साझा करेंगे। पीएसएलवी-सी20 द्वारा प्रक्षेपित किए जाने वाले अन्य उपग्रहों में दो उपग्रह कनाडा के, दो आस्ट्रिया, एक ब्रिटेन और एक डेनमार्क के हैं। कनाडा के दो उपग्रहों में हैं एनईओसैट (नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट स्पेस सर्विलांस सैटेलाइट) और सैफायर उपग्रह। एनईओसैट का विकास कनेडियन स्पेस एजेंसी ने किया है, जबकि सैफायर का विकास मैकडोनल्ड, डेटविलर एंड एसोसिएट्स (एमडीए) ने किया है। आस्ट्रिया के उपग्रहों में हैं ब्राइट और यूनीब्राइट। रॉकेट ब्रिटेन के एसटीराएनडी-1 और डेनमार्क के एएयूएसएटी उपग्रह को भी साथ ले गया है।
स्मार्टफोन संचालित सूक्ष्म उपग्रह...
एसटीराएनडी-1 (सुरे ट्रेनिंग, रिसर्च एंड नैनोसैटेलाइट डेमोंस्ट्रेटर) दुनिया का पहला स्मार्टफोन से संचालित होने वाला सूक्ष्म उपग्रह है। इस पर एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाला गूगल नेक्सस वन फोन लगाया गया है। इस फोन से कई तरह के आंक़डे जुटाए जाएंगे और यह अपने कैमरे से धरती की तस्वीरें भी लेगा।
एनईओसैट रखेगा क्षुद्रग्रहों पर नजर...
कनाडा का एनईओसैट धरती के आसपास मौजूद क्षुद्रग्रहों और धरती की कक्षा में घूमते अन्य उपग्रहों पर नजर रखेगा। साथ ही यह सूर्य के आसपास मौजूद अन्य छोटे उपग्रहों पर भी नजर रखेगा।
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