Thursday 20 December 2012

क्या खत्म हो जायेगी दुनियाँ ?


क्या 21 दिसंबर, 2012 को दुनियाँ खत्म हो जायेगी ,प्रलय आ जायेगा ,पूरी मानव सभ्यता खत्म हो जायेगी ....? एक बार फिर से ये सवाल पूरी दुनियाँ में बहस का मुद्दा बन गए है ,भविष्यवाणियों, अनुमानों और दावों का दौर चल पड़ा है। पृथ्वी की आयु समाप्त हो जायेगी या प्रलय हो जायेगी? इस पर भिन्न-भिन्न मत हैं। अनेक प्रकार के भ्रम हैं। वस्तुत इस बहस को दो तर्कों के आधार पर हवा दी जा रही है जिनमें एक है माया सभ्यता (ई.पू. 300-900) का माया कैलेण्डर तथा दूसरा है माइकेल द नास्त्रेदम (1503-1566) की भविष्यवाणी। जबकि पूरी दुनियाँ में इस बहस को सबसे अधिक हवा दी है इण्टरनेट तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया ने।
क्या है माया सभ्यता
दुनियाँ  खत्म होने के पीछे माया सभ्यता की भविष्यवाणी को एक बड़ा कारण माना जा रहा है । माया सभ्यता 300 से लेकर 900 ई के बीच मैक्सिको, पश्चिमी होंडूरास और अल सल्वाडोर के बीच चली आ रही पुरानी सभ्यता हैे। इस सभ्यता के अनुसार हजारों साल पहले बनाए माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के आगे किसी तारीख का कोई जिक्र नहीं है, जिसकी वजह से माना जा रहा था कि इस दिन पूरी दुनिया समाप्त हो जाएगी। यह कैलेंडर इतना सटीक है कि आज के सुपर कंप्यूटर भी उसकी गणनाओं में सिर्फ 0.06 प्रतिशत तक का ही फर्क निकाल सके हैं। प्राचीन माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र उल्लेखनीय विकास हुआ। अपने ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था। 
माया कैलेंडर की भविष्यवाणी
माया कैलेंडर के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 में एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा, जिससे सारी धरती खत्म हो जाएगी। करीब 300  से 900 ईसा पूर्व माया नामक एक प्राचीन सभ्यता स्थापित थी। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडूरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं। नास्त्रेदमस के सूत्रों का विश्लेषण करने वाले भी दावा करते हैं कि नास्त्रेदमस ने भी इस दिन को प्रलय का दिन माना है। उनका मानना है कि आकाश से गिरेगी एक विशालकाय उल्का और धरती नष्ट हो जाएगी।

पृथ्वी से टकराएगा ग्रह  

जर्मनी के वैज्ञानिक रोसी ओडोनील और विली नेल्सन ने 21 दिसंबर 2012 को एक्स ग्रह की पृथ्वी से टक्कर की बात कहकर पृथ्वी के विनाश की अफवाहों को और हवा दे दी है। कई बड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर वर्ष 2012 में एक्स ग्रह की टक्कर पृथ्वी से होती है तो मानव सहित सभी जीव प्रजातियों का विनाश हो सकता है। वैज्ञानिकों को आशंका है कि एक्स नाम का ग्रह धरती के काफी पास से गुजरेगा। इस दौरान इसकी पृथ्वी से टक्कर भी हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो पृथ्वी को कोई नहीं बचा सकता और संपूर्ण मानव प्रजाति का विनाश तय है। हालांकि कुछ वैज्ञानिक ऐसी किसी भी आशंका से इंकार कर रहे हैं कि पृथ्वी के साथ एक्स ग्रह की टक्कर से पृथ्वी पर मौजूद संपूर्ण मानव प्रजाति के अस्तिव ही संकट में पड़ सकता है। उनका मानना है है कि ब्राह्मांड में हजारों ग्रह और आकाशीय पिंड हैं, जो लगातार गति में रहते हैं। इसलिए कभी न कभी कोई न कोई ग्रह और आकाशीय पिंड तो पृथ्वी के करीब से गुजरेगा ही। ऐसे में उनके पृथ्वी से टक्कराने की आशंका भी रहती है, लेकिन यह मान लेना कि वह पृथ्वी से टकरा जाएगा और पृथ्वी का विनाश हो जाएगा, सही नहीं कहा जा सकता।
माया सभ्यता के अंधविश्वास पर हॉलीवुड में एक फिल्म भी बन चुकी है- प्रलय 2012। इस फिल्म में दिखाया गया है कि 21 दिसंबर 2012 को एक ग्रह आएगा जो पृथ्वी से टकराएगा और प्रलय आ जाएगा। उस ग्रह का नाम होगा नीबीरू। नीबीरू सब कुछ तहस-नहस कर देगा और हम सब मारे जाएंगे। नीबीरू काफी समय से चर्चा में है। उसे प्लेनेट एक्स भी कहा जाता है। हालांकि नासा ऐसे किसी ग्रह का अस्तित्व नहीं मानता। दरअसल नीबीरू नैन्सी लीडर नाम की एक महिला के दिमाग की उपज है, जो अमेरिका के विस्कॉन्सिन की रहने वाली है। वह कहती है कि उसके मस्तिष्क में एक प्रतिरोपण है, जिसके जरिए वह जेटा रेटीकुली नामक एक ग्रह के लोगों के संपर्क में रहती है।
इधर फ्रांस के भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ( 1503-1566) ने 16वीं सदी में अपनी भविष्यवाणियों की एक किताब लिखी सेंचुरी। सेंचुरी में लगभग 100 भविष्यवाणियां सूत्रबद्ध हैं। इस किताब से पूरे फ्रांस में तहलका मच गया था। बाद में इसे दुनिया की अधिकतर भाषाओं में अनुवाद किया किया। उनकी भविष्यवाणियों के जानकार अब तक घटी घटनाओं के बारे में नास्त्रेदमस की सूत्रबद्ध घटनाओं को निकालकर उसके सत्य होने की घोषणा करते हैं। इस तरह दावा किया जाता है कि उनके द्वारा की गईं कई भविष्यवाणियां सच साबित हुई है। जबकि नास्त्रेदमस के आलोचकों का मानना है कि उनके सूत्रों की व्याख्याएं कुछ भी हो सकती है। आलोचकों का कहना है कि व्याख्याएं महज गलत अनुवाद या गलतफहमी का परिणाम हैं।

माया सभ्यता और धर्म की धारणा की तरह नास्त्रेदमस ने भी 2012 में धरती के खत्म होने की भविष्यवाणी की है। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के विश्लेषकों अनुसार नास्त्रेदमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मैं देख रहा हूं कि आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है जो धरती से मानव की विलुप्ति का कारण बन सकता है।  ऐसा कब होगा इसके बारे में स्पष्ट नहीं, लेकिन ज्यादातर जानकार 2012 को ऐसा होने की घोषणा करते हैं। 
नासा के अनुसार 
“धरती से प्लेनेट एक्स निबिरू नाम का एक ग्रह टकराएगा जिसके कारण पूरी दुनिया नष्ट हो जाएगी।“ नासा ने इस बात को एक कोरी बकवास से ज्याजदा कुछ नहीं माना नासा के अनुसार इस तरह को कोई  ग्रह अस्तित्व में नहीं है। अंतरिक्ष पर चैतरफा नजर रखना अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा का एक प्रमुख काम है। उसके रिसर्च सेंटर की ओर से डेविड मॉरिस ने एक वीडियो संदेश में प्रलय की सारी संभावनाओं का खंडन करते हुए कहा कि कई आकाशीय पिंडों का एकसीध में आना भी कोई अनहोनी बात नहीं है। यह जिज्ञासा का विषय हो सकता है, लेकिन किसी सच्ची वैज्ञानिक दिलचस्पी का विषय नहीं है।
उनका कहना है, पृथ्वी के ध्रुवों को लेकर भी चिंता फैलाई जा रही है कि वे बदल जाएँगे, पर कोई नहीं कहता कि यह होगा कैसे। यदि बात पृथ्वी की घूर्णन-धुरी वाले ध्रुवों की है, तो ऐसा कोई परिवर्तन न तो कभी हुआ है और न होगा। हाँ, पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव जरूर हर कुछ लाख वर्षों पर अपनी जगह बदल देते हैं। लेकिन उस के भी 2012 में होने के कोई प्रमाण नहीं हैं और न उससे कोई नुकसान हो सकता है।  यानी 21 दिसम्बर ,2012 का सारा हौवा बकवास है, झूठ है। अपने एक वक्तव्य में नासा ने कहा है कि इस समय एक ही लघुग्रह है, एरिस, जो सौरमंडल की बाहरी सीमा के पास की कुइपियर बेल्ट में पड़ता है और आज से 147 साल बाद 2257 में पृथ्वी के कुछ निकट आएगा, तब भी उससे छह अरब चालीस करोड़ किलोमीटर दूर से निकल जाएगा। कोई प्रलय नहीं आ रहा है, 2012 जैसी चाहे जितनी फिल्में बनें ,ये एक अंधविश्वास,मनोरंजन से ज्यादा कुछ नहीं है ।
विज्ञान क्या मानता है 
ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी पर प्रलय अर्थात जीवन का विनाश तो सिर्फ सूर्य, उल्कापिंड या फिर सुपर वॉल्कैनो (महाज्वालामुखी) ही कर सकते हैं। हालांकि कुछ वैज्ञनिक कहते हैं कि सुपर वॉल्कैनो पृथ्वी से संपूर्ण जीवन का विनाश करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि कितना भी बड़ा ज्वालामुखी होगा वह अधिकतम 70 फीसदी पृथ्वी को ही नुकसान पहुंचा सकता है।

अब जहां तक सवाल उल्कापिंड का है तो अभी तक खगोलशास्त्रियों को पृथ्वी के घूर्णन कक्षा में ऐसा कोई उल्कापिंड नहीं दिखा है, जो पृथ्वी को प्रलय के मुहाने पर ला दे। फिर भी इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि कोई भयानक विशालकाय उल्कापिंड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के चंगुल में फंस जाए तो तबाही निश्चित है। 
नया माया कलेंडर
समय-समय पर दुनिया के खात्मे के लिए कई प्रकार की भविष्यवाणिया की जा रही हैं। नास्त्रेदमस और माया सभ्यता की दुहाई देकर जहा इस वर्ष दुनिया का अंत होने की भविष्यवाणियां की जा रही थीं, वहीं ग्वाटेमाला के जंगलों में मिले माया कैलेंडर के एक अज्ञात संस्करण से खुलासा हुआ है कि अगले कई अरब वषरें तक पृथ्वी पर मानव सभ्यता के अंत का कारण बनने वाली कोई भी प्रलयकारी आपदा नहीं आएगी। शूलतुन में माया सभ्यता के एक प्राचीन शहर के खंडहर मौजूद हैं। इन खंडहरों में मौजूद एक दीवार पर यह कैलेंडर मौजूद हैं। लगभग आधे वर्ग मीटर आकार के इस कैलेंडर के अच्छी हालात में होने की बात कही जा रही है। वैज्ञानिक इसे अब तक मिला सबसे पुराना माया कैलेंडर करार दे रहे हैं। उनका दावा है कि यह कम से कम 1200 वर्ष पुराना रहा होगा। यह नया कैलेंडर पत्थर की एक दीवार में तराशा हुआ है, जबकि 2012 मे दुनिया के अंत की भविष्यवाणी करने वाले सभी माया कैलेंडर पुरानी पाडुलिपियों में मिलते हैं, जिनमें अलग-अलग चित्रों के माध्यम से अलग-अलग भविष्यवाणिया की गई हैं। दुनिया के अंत की घोषणा करने वाले सभी कैलेंडर इस पाषाण कैलेंडर से कई सौ वर्ष बाद तैयार किए गए थे। इसके निकट की ही एक दीवार पर मौजूद तालिकाओं के आधार पर चार युगों की गणना हो सकती है जो वर्ष 935 से लेकर 6700 ईसवी तक हैं। शूलतुन के जंगलों में माया सभ्यता का एक महत्वपूर्ण शहर होने के बारे में पहली बार वर्ष 1915 में पता चला था। 
अंधविश्वास को बढ़ावा 
 दुनिया के अंत के संबंध में समय-समय पर कई प्रकार की भविष्यवाणिया की जाती रही है। इससे पहले 21 मई, 2011 को दुनिया के विनाश का दिन बताया जा रहा था लेकिन यह बात झूठी साबित हो गई। लेकिन अब माया कैलेंडर के आधार पर 21 दिसंबर, 2012 को दुनिया का आखिरी दिन मान लिया गया । माया सभ्यता के इस अंध विश्वास पर जहां हॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी है  ।कल्पना को घटना बना कर 13 नवंबर, 2009 को हालीवुड की सोनी पिक्चर्स ने रोनाल्ड ऐमेरिक द्वारा निर्देशित फिल्म 2012 रिलीज की जिसमें सौर तूफान, येलोस्टोन ज्वालामुखी विस्फोट के कारण विश्व की सभ्यता एवं पृथ्वी के विनाश का चित्रण किया गया है। इस फिल्म की कथा को लेकर भी नासा ने कहा कि इसमें कोई तथ्य या सच्चाई नहीं है कि सन 2012 में ऐसी कोई घटना घटने वाली है और दुनिया समाप्त होने वाली है। फिल्मी दुनिया की खबर रखने वाले कुछ लोगों का कहना है कि 2012 में दुनिया खत्म होने की अफवाह को असल में इस फिल्म के प्रचार के लिए ही हवा दी गई थी। कारण हजारों करोड़ डॉलर बजट वाली इस फिल्म का विषय और दुनिया के खात्मे की भविष्यवाणी एक-दूसरे की बड़ी मदद कर सकते थे। खैर,फिल्म रिलीज होकर हिट हो गई। लेकिन लोगों में अभी तक भय व्याप्त है। लेकिन क्या वाकई एक फिल्म के लिए प्रचार भर के लिए पूरी दुनिया में अफवाह फैलाई जा सकती है? 
वर्ष 2012 में डराने वाली प्रमुख भविष्यवाणी
माया सभ्यता के अनुसार होगा पृथ्वी का नाश।
नास्त्रेदमस की महाप्रलय की भविष्यवाणी।
निबिरू ग्रह की होगी पृथ्वी से टक्कर।
सूरज पर चुम्बकीय हलचल से विनाश।
आइंसटाइन की पोलर थ्योरी से होगा धरती का अंत।
अमरीका में यलोस्टोन नेशनल पार्क में ज्वालामुखी फटने से धरती होगी नष्ट।
प्रलय संबंधी अधुरे ज्ञान और अंधविश्वास के चलते हॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी है,किताबें लिखी जा चुकी है . वहीं लोगों में भय, कौतुहल और मनमानी चर्चा का दौर जारी है। सवाल यह उठता है कि क्या कारण हैं कि सारी दुनिया को प्रलय से पहले प्रलय की चिंता खाई जा रही हैं? क्या कारण है जो लोगों को भयभीत किया जा रहा है और यह भी कि क्या सचमुच ही ऐसा कुछ होने वाला है? सच बात तो यह है कि इन अफवाहों के पीछे भी कुछ लोगों का छिपा हुआ एजेंडा है जिसके तहत वो काम कर रहें है दृ

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