Monday 23 April 2012

स्टीफन हॉकिंग


प्रख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग सत्तर वर्ष के हो गए। आठ जनवरी 1942 को इंग्लैंड में जन्मे हॉकिंग निस्संदेह हमारे वक्त के सबसे चर्चित और लोकप्रिय वैज्ञानिक हैं। हॉकिंग का 70 वर्ष का होना इस मायने में महत्वपूर्ण है कि 21 वर्ष की उम्र में उन्हें एमायोट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरॉसिस नाम के कठिन रोग ने घेर लिया था। इस रोग में शरीर की मांसपेशियों को क्रमश: लकवा मार जाता है। इसके निदान के बाद मरीज की उम्र गिने-चुने वर्ष ही रह जाती है।
हॉकिंग को डॉक्टरों ने कहा था कि वह सिर्फ दो-तीन वर्ष जिएंगे। हॉकिंग उसके बाद लगभग पचास वर्ष निकाल चुके हैं। चिकित्साशास्त्र के इतिहास में इस रोग का कोई मरीज इतनी लंबी उम्र नहीं जिया, हालांकि यह रोग लगातार उन्हें ग्रसता गया। कुछ वर्ष पहले हॉकिंग भारत आए थे, तब तक उनके एक हाथ की एक छोटी उंगली गतिशील थी, जिसके जरिये वह कंप्यूटर की सहायता से काम करते थे।
अब उनके गाल की कुछ मांसपेशियां ही सक्रिय हैं, उनके चश्मे में एक संवेदनशील इंफ्रा रेड सेंसर लगा है, जो उन मांसपेशियों की हरकत को एक कंप्यूटर तक पहुंचाता है। यह कंप्यूटर इस तरह व्यक्त किए गए शब्दों को आवाज में ढालकर रिकॉर्ड करता है। इस प्रक्रिया से अपना एक भाषण तैयार करने लिए उन्हें कई दिनों तक मेहनत करनी पड़ती है।
1985 में उन्हें न्यूमोनिया हो गया था और उसके इलाज के दौरान उनकी आवाज चली गई थी। इतनी कठिन बीमारी से जूझते हुए वह शोधकार्य करते रहे, किताबें लिखते रहे, जबकि एक-एक शब्द लिखना उनके लिए कठिन कार्य था, दुनिया भर में भाषण देते रहे। वह पिछले दिनों कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित विषय के उसी पद से रिटायर हुए हैं, जिस पद पर कभी सर आइजैक न्यूटन हुआ करते थे। आज के कई नामी वैज्ञानिक उनके शोध छात्र रहे हैं।
स्टीफन हॉकिंग की महानता यह है कि उन्होंने अपने काम पर अपने रोग की छाया नहीं पड़ने दी, बल्कि वह कहते हैं कि बीमार होने और पहिएदार कुरसी पर जकड़े रहने की वजह से वह इधर-उधर के व्यवधानों से बचे रहे और अपना दिमाग विज्ञान की समस्याओं में लगाए रहे।
हॉकिंग को विज्ञान के क्षेत्र में तो मान्यता काफी पहले मिल गई थी, लेकिन उन्हें व्यापक लोकप्रियता 1988 में प्रकाशित उनकी किताब ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइमसे मिली, जिसकी आज तक एक करोड़ से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं। हॉकिंग सिर्फ जाने-माने वैज्ञानिक नहीं हैं, बल्कि वह उन लोगों में से हैं, जो विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने का काम भी करते हैं।
वह कई टीवी कार्यक्रमों में भी दिखाई दिए या उससे जुड़े रहे। उनकी लोकप्रियता का राज उनकी दिलचस्प शैली और विज्ञान को व्यापक दार्शनिक सवालों से जोड़ना है। उनका बुनियादी काम अंतरिक्ष विज्ञान, ब्लैक होल्स, क्वांटम गुरुत्वाकर्षण वगैरा से जुड़ा है, लेकिन वह उसे ज्यादा बड़े सवालों से जोड़ते हैं। इस काम में उनके सहयोगी रोजर पेनरॉज भी काफी मदद करते हैं।
हॉकिंग को नोबेल पुरस्कार के अलावा संभवत: वे सभी पुरस्कार मिल चुके हैं, जो किसी वैज्ञानिक को मिल सकते हैं। लेकिन हॉकिंग का रोग भी बढ़ता जा रहा है। कई वर्षो से जो उनकी कंप्यूटरीकृत आवाज है, वह बदलना जरूरी हो गया है, क्योंकि उनके गालों की मांसपेशियां भी कमजोर होती जा रही हैं।
अक्सर यह होता है कि एक शब्द कहने में उन्हें पूरा एक मिनट लग जाता है। उनके हितचिंतक उनके लिए बेहतर से बेहतर कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने में लगे रहते हैं और हमें कामना करनी चाहिए कि इस महान वैज्ञानिक और इंसान की आवाज हम लंबे वक्त तक सुन सकें।

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