शिवेश प्रताप
Google के पास उनकी असफल परियोजनाओं का बड़ा कब्रिस्तान है। और शायद यही कारण है की Google आज इनोवेशन में सबसे अग्रणी कंपनी है। Google इतनी मूल्यवान कंपनी है जो ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, मैक्सिको जैसे देशों के सम्पूर्ण अर्थव्यवस्थाओं से भी आगे जा चुकी है।
इनमें से कुछ परियोजनाओं में उनकी लागत दसियों मिलियन डॉलर आई और अंततः बंद हो गई जैसे Google+, Google प्रिंट या Google Hangouts आदि। गूगल के कुल 167 प्रोजेक्ट हैं जो गाजे बाजे के साथ असफल हुए फिर भी Google संसार में वैल्यू आधारित सेवाओं के सर्वश्रेष्ठ मानक तय करता है। 2010 में Google एक 30 अरब अमेरिकी डॉलर की कंपनी बन जाने के बाद भी अपनी असफलताओं को गर्व से स्वीकारती रही।
हम अक्सर उद्यमिता में एक महत्वपूर्ण बिंदु भूल जाते हैं: सफलता की कोई गारंटी नहीं है; यह धन, शीर्ष पायदान, टीम और बाजार किसी की परवाह नहीं करता। यदि दुनिया की सबसे उत्कृष्ट कंपनी Google विफलता का अनुभव कर सकती है, तो हमारे लिए समय-समय पर विफल परियोजनाओं का निर्माण करना काफी संभव और सामान्य बात है।
मेरे लिए सबसे बड़ा सबक यह है कि अगर कोई चीज एक निश्चित बिंदु से आगे काम नहीं कर रही है, तो असफलता को स्वीकार करना जरूरी है। साथ ही यह भी जरूरी है कि हम अपनी असफलता का बिल्ला गर्व से पहनें और इसे शर्मिंदगी की तरह न छिपाएं।
किसी कार्य या व्यवसाय में, असफलता हमें तब तक हारा हुआ नहीं बनाती, जब तक हम 'छोड़ने' के बजाय 'सफल होने के प्रयास' चुनते हैं।
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