ग्रहों संबंधी नई खोजों पर विशेष
मुकुल व्यास
मुकुल व्यास
हमारी आकाशगंगा में कम से कम 100 अरब ग्रह हैं। अमेरिका में कैलिफोर्निया
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैल्टेक) के खगोल-वैज्ञानिकों ने केप्लर-32 के
इर्दगिर्द घूमने वाले ग्रहों का विश्लेषण करने के बाद यह अनुमान लगाया है।
ये ग्रह आकाशगंगा में ग्रहों की बहुसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और
इनको आधार मान कर हम यह अध्ययन कर सकते हैं कि अधिकांश ग्रह कैसे निर्मित
होते हैं। केप्लर-32 के आसपास पांच ग्रह हैं। इस ग्रह प्रणाली की खोज
केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन ने की है। कैल्टेक के प्रमुख वैज्ञानिक जोनाथन
स्विफ्ट का कहना है कि ये ग्रह जिस तारे का चक्कर काट रहे हैं उसे
एम-ड्वार्फ कहा जाता है। हमारी आकाशगंगा में करीब दो-तिहाई तारे इसी किस्म
के हैं। एम-ड्वार्फ सिस्टम हमारे सौरमंडल से बहुत भिन्न है। एम-ड्वार्फ
तारा हमारे सूरज से छोटा और अपेक्षाकृत ठंडा है। मसलन केप्लर-32 का
द्रव्यमान सूरज का आधा है। उसका अर्द्धव्यास भी आधा है। तारे की चमक में
होने वाले परिवर्तनों को देखने के बाद वैज्ञानिकों इस तारे के ग्रहों की
विशेषताओं का पता लगाया। सभी ग्रहों की भांति केप्लर-32 के ग्रहों का
निर्माण भी धूल और गैस की डिस्क से हुआ था। यह पहला अवसर है जब
खगोल-वैज्ञानिकों ने एम-ड्वार्फ सिस्टम का अध्ययन करके आकशगंगा में ग्रहों
की आबादी का अंदाजा लगाया है।
खगोल वैज्ञानिकों ने 1995 में पहली बार एक सूरज जैसे तारे के इर्दगिर्द एक
ग्रह का पता लगाया था। तब से लेकर अब तक उन्होंने सौरमंडल से बाहर 800 से
अधिक ग्रह खोज लिए हैं। इनके अलावा बहुत से खगोलीय पिंड ऐसे हैं, जो ग्रह
का दर्ज मिलने के इंतजार में हैं। बाहरी ग्रहों में कुछ ग्रह पृथ्वी के
आकार के भी मिले हैं। लेकिन इनमें अभी तक ऐसा कोई ग्रह नहीं मिला है, जिसे
सही मायने में पृथ्वी का जुड़वां या हमशक्ल कहा जा सके। अमेरिका के
प्युटोरिको विश्वविद्यालय की ग्रह पर्यावास प्रयोगशाला के प्रमुख
वैज्ञानिक एबेल मेंडेज को उम्मीद है कि पृथ्वी की असली जुड़वां का पता इसी
वर्ष लग जाएगा।
नासा की केप्लर दूरबीन ने 2300 संभावित ग्रहों का पता लगाया है। इनमें से
अभी तक सिर्फ 100 ग्रहों की ही पुष्टि हो पाई है, लेकिन वैज्ञानिकों को
उम्मीद है कि संभावित ग्रहों में से कम से कम 80 प्रतिशत ग्रहों की पुष्टि
हो जाएगी। खगोल वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया पहला बाहरी ग्रह अपने सूरज के
निकट होने के कारण बेहद गरम था और आकार में बृहस्पति के बराबर था।
धीरे-धीरे उन्नत तकनीकें उपलब्ध होने के बाद छोटे और दूरवर्ती ग्रहों का
पता चला। अभी कुछ दिन पहले ही खगोल-वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल से बाहर
टॉव सेटी नामक तारे के इर्दगिर्द पांच ग्रहों का पता लगाया है। टॉव सेटी
पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर है। यह इकलौता तारा है और चमक तथा तापमान की
दृष्टि से यह हमारे सूर्य के समकक्ष है। खगोल-वैज्ञानिकों का अनुमान है कि
तारे का चक्कर लगाने वाले पांच ग्रहों में एक ग्रह तारे के जीवन-अनुकूल
क्षेत्र में हो सकता है। खगोल-वैज्ञानिकों ने जिन छोटे बाहरी ग्रहों का पता
लगाया हैं, उनमें मेंडेज की सूची के मुताबिक संभावित जीवन-अनुकूल ग्रहों
की संख्या नौ पहुंच चुकी है, लेकिन इनमें से कोई ग्रह सच्चे अर्थो में
पृथ्वी का हमशक्ल नहीं है। पृथ्वी के आकार के जो गिने-चुने ग्रह मिले हैं,
वे अपने तारे के बहुत करीब हैं। अत: वहां की परिस्थितियां जीवन के अनुकूल
नहीं है।
मेंडेज और केप्लर टीम से जुड़े वैज्ञानिक जैफ मार्सी को पूरा भरोसा है कि
सही आकार और सही परिस्थितियों वाले ग्रह की खोज इसी साल हो सकती है। दोनों
वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि यह युगांतरकारी खोज केप्लर दूरबीन द्वारा
की जाएगी, जो तारों के आगे से ग्रहों के गुजरने पर फीकी पड़ने वाली चमक को
बारीकी से नोट करती है। दूसरी पृथ्वी खोजने की होड़ मे हार्प्स उपकरण भी
शामिल है। यह उपकरण चिली स्थित यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला में लगा हुआ है।
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