Thursday 24 May 2012

निजी अंतरिक्षयान

अं तरिक्ष और तारों की दुनिया के बीच सफर की फिल्मी कहानी बहुत जल्द ही हकीकत में बदल सकती है. अब तक सिर्फ अंतरिक्षयात्री ही विशेष अभियान के तहत चांद सहित अंतरिक्ष की दुनिया में जाते थे. अब रूसी और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों के अलावा निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में कदम रखरही हैं. 22 मई को अमेरिका के कैलिफोर्निया से निजी कंपनी स्पेस-एक्स का मानवरहित यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए भेजा गया. अंतरिक्ष में किसी निजी कंपनी की यह पहली उड़ान है. स्पेस-एक्स के जरिए ड्रैगन को अंतरिक्ष स्टेशन भेजा गया है. अब इसे स्टेशन पर पहुंचने में दो दिनों का समय लगेगा.

क्या हैं इस कदम के मायने

अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र के हस्तक्षेप का अगर एक पहलू देखें तो इसका फायदा यह हो सकता है कि उन्हें इन अभियानों के लिए भारी-भरकम रकम खर्च नहीं करनी प.डेगी. नासा बचे हुए पैसे का इस्तेमाल धरती से अलग अंतरिक्ष पर चल रहे दूसरे शोध में लगाया जा सकता है, जिसमें मंगल ग्रह भी शामिल है.गौरतलब है कि नासा द्वारा स्पेस एक्स और एक अन्य कंपनी ऑरबाइटल साइंसेज कॉर्प को अंतरिक्ष स्टेशन पर भोजन सामग्रियां और उपकरण आदि पहुंचाने के लिए अरबों डॉलर का ठेका दिया गया है. दूसरी कंपनी इस साल बाद में अपने ऐन्टारेस रॉकेट से साइग्नस नामक यान को अंतरिक्ष स्टेशन भेजने की तैयारी कर रही है.

मंगल ग्रह पर भी निजी अंतरिक्षयान

स्पेस एक्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी एलन मस्क का कहना है कि हम काफी समय से मंगल पर जीवन की तलाशकर रहे हैं और इनसान मंगल ग्रह पर जाने की चाहत रखता भी है. मंगल पर अपने अभियान की शुरुआत के बारे में उनका मानना है कि उनकी कंपनी कम-से-कम दस वर्षों या फिर 15 साल के अंदर निश्‍चित तौर पर मंगल ग्रह पर इनसानों को भेजने में सफल हो जायेगी. मंगल ग्रह पर लोगों को भेजने की अपनी इस योजना पर वे कहते हैं कि इसे वे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की मदद से या उसकी मदद के बगैर किसी भी तरह करेंगे. हालांकि, इस योजना में कई चुनौतियां भी हैं. मसलन, अभी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर लोगों को भेजने की योजना है, जो कुछ सौ मील दूर है. लेकिन मंगल ग्रह पृथ्वी से हजारों मील दूर है. हालांकि मस्क का आकलन है कि एकबार अगर अभियान शुरू हो गया तो फिर इस भी काम किया जा सकता है. इसके बाद मंगल ग्रह भी एक अंतरिक्ष यात्रा के लिए सामान्य जगह बन जायेगा. फिर वहां जाने की लागत भी कम हो जायेगी, क्योंकि कई कंपनियां इस क्षेत्र में आ जायेंगी. गौरतलब है कि रूस नासा के एक अंतरिक्ष यात्री को स्पेस स्टेशन तक ले जाने के लिए 6 करोड़ डॉलर लेता है.



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